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देवउठनी एकादशी पर भक्ति, परंपरा और एकता का अनोखा संगम — भाटापारा नगर गौरा-गौरी पूजन के उत्सव में डूबा, नगर पालिका अध्यक्ष अश्वनी शर्मा समेत अनेक जनप्रतिनिधि और श्रद्धालु हुए सहभागी

भक्ति 01 November 2025 (166)

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प्रभात न्यूज़ 24: 

देवउठनी एकादशी पर भक्ति, परंपरा और एकता का अनोखा संगम — भाटापारा नगर गौरा-गौरी पूजन के उत्सव में डूबा, नगर पालिका अध्यक्ष अश्वनी शर्मा समेत अनेक जनप्रतिनिधि और श्रद्धालु हुए सहभागी


संवाददाता- विजय शंकर तिवारी 



बलौदा बाजार,

छत्तीसगढ़ की लोकसंस्कृति और आस्था के सबसे पवित्र पर्वों में से एक देवउठनी एकादशी के अवसर पर भाटापारा नगर शनिवार को भक्ति और उत्सव के रंगों में सराबोर दिखाई दिया। नगर के मुंशी स्माइल वार्ड (मुक्तिधाम के पास), रामसागर वार्ड, नयागंज वार्ड और माँ बम्लेश्वरी मंदिर परिसर सहित अनेक वार्डों में पारंपरिक विधि-विधान के साथ गौरा-गौरी पूजन महोत्सव का आयोजन बड़े ही श्रद्धाभाव और सांस्कृतिक गरिमा के साथ सम्पन्न हुआ।


सुबह से ही नगर की गलियाँ और पूजा स्थलों पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। महिलाएँ पारंपरिक छत्तीसगढ़ी परिधान—लुगरा, फुलकी, कांचुली और चांदी के गहनों से सजीं, मंगल गीतों के साथ गौरा माता और भगवान शंकर की आराधना में लीन रहीं। मिट्टी से निर्मित गौरा-गौरी प्रतिमाओं को सुंदरता से सजाकर पूजा स्थल पर प्रतिष्ठित किया गया। ढोलक, मंजीरा और करताल की थाप पर “गौरा-गौरी जोड़ी जइहें, समृद्धि घर आही” जैसे पारंपरिक गीतों से पूरा नगर गुंजायमान हो उठा।


पूजा के उपरांत आरती और प्रसाद वितरण का आयोजन हुआ, जहाँ हर आयु वर्ग के लोग सम्मिलित हुए। महिलाओं ने पारंपरिक “माता गौरा के गीत” गाकर इस पावन अवसर को और भी जीवंत बना दिया। वहीं बच्चों और युवाओं ने दीप सजावट, झांकी निर्माण और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में अपनी प्रतिभा का परिचय दिया।


गौरा-गौरी पूजन पर्व छत्तीसगढ़ की समृद्ध लोकपरंपरा का प्रतीक है। यह पर्व न केवल दांपत्य सौभाग्य और पारिवारिक समृद्धि का प्रतीक है, बल्कि यह समाज में प्रेम, एकता और सामूहिकता का भी संदेश देता है। लोक मान्यता है कि इस दिन माता गौरा (पार्वती) और भगवान महादेव पुनर्मिलन करते हैं, जो दांपत्य जीवन में शुभता और सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।


नगर पालिका अध्यक्ष अश्वनी शर्मा ने सभी पूजा स्थलों का भ्रमण कर श्रद्धालुओं से भेंट की और नगरवासियों को देवउठनी एकादशी एवं गौरा-गौरी पूजन पर्व की हार्दिक बधाई दी। उन्होंने कहा,


> “छत्तीसगढ़ की माटी में बसे ऐसे लोक पर्व हमारे समाज की आत्मा हैं। गौरा-गौरी पूजन हमें अपनी संस्कृति से जुड़े रहने, परिवार में प्रेम बनाए रखने और समाज में एकजुटता का संदेश देता है। हमें इस परंपरा को आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाना होगा।”




उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन नगर की सामाजिक संरचना को सुदृढ़ करते हैं और लोगों के बीच आपसी सद्भाव को बढ़ावा देते हैं।


नगर में उमड़ा जनसैलाब, वार्डों में भक्ति और उल्लास का नज़ारा

शाम होते ही नगर दीपों की रौशनी से जगमगा उठा। हर वार्ड में गौरा-गौरी प्रतिमाओं की आरती के साथ महिलाएँ एक स्वर में “जय गौरा माता” और “हर हर महादेव” के जयघोष करने लगीं। इस भक्ति संगीत ने वातावरण को दिव्यता से भर दिया। नयागंज वार्ड और माँ बम्लेश्वरी मंदिर परिसर में विशाल सामूहिक आरती का आयोजन हुआ, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालु दीप थामे खड़े होकर भक्तिरस में डूबे नज़र आए।


गौरा-गौरी पूजन के उपरांत महिलाओं ने पारंपरिक विधि से गौरा माता को विदा किया और अपने परिवार की सुख-शांति, पति की दीर्घायु तथा समाज की समृद्धि की कामना की। इस अवसर पर नगर के सामाजिक संगठन और महिला मंडल की सदस्यों ने मिलकर प्रसाद वितरण, सजावट, जल एवं बैठने की व्यवस्था की जिम्मेदारी निभाई।


जनप्रतिनिधियों और गणमान्य नागरिकों की गरिमामयी उपस्थिति

इस भव्य आयोजन में नगर के अनेक जनप्रतिनिधि और सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे। इनमें पूर्व पार्षद व्यासनारायण यदु, पार्षद नरेंद्र यदु, महिला मोर्चा अध्यक्ष नीरा साहू, रवि मानिकपुरी, चंदन सेन, धन्नू यादव, प्रकाश भट्ट, राहुल चंद्राकर, राधे भाट, नारू सेन, शाकिर खान, विनय उपाध्याय, शैलेश दवे, जवाहर यदु, रवि साहू, राजेश साहू, नवीन मिश्रा सहित सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित थे।


सभी ने कहा कि भाटापारा नगर का यह आयोजन प्रदेश में लोकसंस्कृति के संरक्षण और संवर्धन का उत्कृष्ट उदाहरण है। इस पर्व ने न केवल लोगों को एक साथ जोड़ने का कार्य किया, बल्कि समाज में धार्मिक सौहार्द, सामाजिक सहयोग और परंपरागत संस्कृति के प्रति गर्व की भावना को भी प्रबल किया।


आस्था, परंपरा और संस्कृति का संगम बना भाटापारा

भाटापारा नगर का यह गौरवशाली आयोजन इस बात का सजीव प्रमाण बना कि छत्तीसगढ़ की परंपराएँ आज भी लोगों के जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं। देवउठनी एकादशी और गौरा-गौरी पूजन जैसे पर्व समाज को जोड़ते हैं, मन में श्रद्धा जगाते हैं और संस्कृति को जीवित रखते हैं।


इस दिन नगरवासियों ने एक स्वर में यही संदेश दिया —

“गौरा-गौरी जोड़ी अटूट रहय, हमर समाज म एकता बनाय रहय।”





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