प्रभात न्यूज़ 24:
मंत्री, कलेक्टर और प्रेस क्लब तक पहुँची शिकायत, तो ओमकार हॉस्पिटल ने दिखाई दबंगई
शिकायतकर्ता को धमकाने का ऑडियो वायरल, पीड़ित ने न्याय की गुहार लगाते हुए प्रशासन को सौंपा आवेदन
बलौदाबाजार।
जिले के निजी स्वास्थ्य संस्थानों की कार्यप्रणाली एक बार फिर सवालों के घेरे में है। बलौदाबाजार स्थित ओमकार हॉस्पिटल पर मरीजों और उनके परिजनों को इलाज के नाम पर डराने-धमकाने, अवैध वसूली करने और शिकायत करने पर प्रताड़ित करने के गंभीर आरोप सामने आए हैं। ताजा मामला ग्राम गिरौदपुरी, कसडोल निवासी राधेलाल पटेल से जुड़ा है, जिसने अस्पताल प्रबंधन पर मरीज को बंधक बनाकर भारी रकम वसूलने और डराने, धमकियाँ देने का आरोप लगाया है।
पीड़ित द्वारा शिकायत कैबिनेट मंत्री टंकराम वर्मा, जिला कलेक्टर बलौदाबाजार, पुलिस अधीक्षक तथा बलौदाबाजार प्रेस क्लब तक पहुँचाए जाने के बाद अस्पताल प्रबंधन कथित रूप से बौखला गया और शिकायतकर्ता को डराने-धमकाने लगा। इस पूरे घटनाक्रम से जुड़ा लगभग 22 मिनट का ऑडियो रिकॉर्डिंग सामने आया है, जो अब चर्चा का विषय बना हुआ है।
इलाज के नाम पर अवैध वसूली का आरोप
पीड़ित राधेलाल पटेल के अनुसार, दुर्घटना के बाद मरीज को एंबुलेंस चालक द्वारा बिना परिजनों की सहमति के सीधे ओमकार हॉस्पिटल ले जाया गया। आरोप है कि अस्पताल पहुंचते ही इलाज शुरू कर दिया गया, लेकिन न तो समुचित जानकारी दी गई और न ही इलाज का कोई स्पष्ट विवरण। परिजनों से लगातार बड़ी रकम जमा कराने का दबाव बनाया गया और मरीज को छुट्टी देने से इनकार कर दिया गया।
प्रेस वार्ता के बाद बढ़ा दबाव
पीड़ित द्वारा 10 दिसंबर 2025 को बलौदाबाजार प्रेस क्लब में प्रेस वार्ता कर पूरे मामले की जानकारी सार्वजनिक किए जाने के बाद हालात और बिगड़ गए। उसी शाम जब पीड़ित मरीज को अस्पताल से छुट्टी दिलाने पहुंचा, तो काउंटर पर उससे करीब डेढ़ लाख रुपये जमा करने की मांग की गई। जब इलाज का पूरा बिल और विवरण मांगा गया, तो केवल दस हजार रुपये का कच्चा बिल दिखाया गया, शेष राशि का कोई हिसाब नहीं दिया गया।
एम्बुलेंस रुकवाकर धमकाने का आरोप
पीड़ित का आरोप है कि जब मरीज को दूसरी एंबुलेंस से शिफ्ट किया जा रहा था, उसी दौरान रात करीब 8 बजे अस्पताल परिसर में एंबुलेंस रुकवा दी गई। आरोप है कि डॉ. वसीम रजा की मौजूदगी में ऋषि शुक्ला और आशीष शुक्ला ने पीड़ित और उसके परिजनों को डॉक्टर के केबिन में बुलाया और शिकायत करने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी।
ऑडियो रिकॉर्डिंग में कथित तौर पर यह कहते हुए सुना जा सकता है कि –
“मंत्री, कलेक्टर और प्रेस क्लब में शिकायत क्यों की? अब तुम्हें देख लेंगे। मरीज को लेकर बलौदाबाजार कैसे पार करोगे, यह भी देखा जाएगा।”
जबरन वीडियो बयान बनाने का दबाव
पीड़ित का कहना है कि केबिन के भीतर उसे डराकर जबरन कैमरा चालू किया गया और उस पर प्रेस क्लब के खिलाफ बयान देने का दबाव बनाया गया। मना करने पर धमकियाँ दी गईं। पूरे घटनाक्रम की ऑडियो रिकॉर्डिंग पीड़ित ने अपने मोबाइल फोन में सुरक्षित कर ली, जिसे बाद में प्रेस क्लब को सौंप दिया गया।
इतना ही नहीं, आरोप है कि पूर्व में रिकॉर्ड किए गए एक वीडियो को कथित रूप से तोड़-मरोड़ कर सोशल मीडिया पर वायरल किया जा रहा है, ताकि शिकायतकर्ता और प्रेस क्लब की छवि धूमिल की जा सके और मामले को दबाया जा सके।
प्रशासनिक कार्रवाई पर उठे सवाल
सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि मामला कैबिनेट मंत्री, कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी तक पहुँचने के बावजूद अब तक न तो धमकी देने वालों के खिलाफ अपराध दर्ज किया गया है और न ही अस्पताल प्रबंधन पर कोई ठोस कार्रवाई सामने आई है।
पीड़ित का कहना है कि वह लगातार न्याय की गुहार लगा रहा है, लेकिन उसे केवल आश्वासन ही मिल रहे हैं। उसने मांग की है कि ऑडियो रिकॉर्डिंग की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में किसी और मरीज या परिजन के साथ ऐसा न हो।
स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल
यह मामला जिले की निजी स्वास्थ्य व्यवस्था और प्रशासनिक संवेदनशीलता पर गंभीर सवाल खड़े करता है। क्या इलाज के नाम पर मरीजों को बंधक बनाना जायज है? क्या शिकायत करना अब अपराध बनता जा रहा है? और क्या निजी अस्पताल खुद को कानून से ऊपर समझने लगे हैं?
अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस पूरे मामले को कितनी गंभीरता से लेकर निष्पक्ष जांच और कार्रवाई करता है, या फिर यह मामला भी अन्य मामलों की तरह फाइलों में दबकर रह जाएगा। जिले की जनता की निगाहें अब शासन-प्रशासन के अगले कदम पर टिकी हैं।























