प्रभात न्यूज़ 24:
ओमकार हॉस्पिटल फिर विवादों में घिरा: दो पुरानी जांचें लंबित, अब नया मामला उजागर — इलाज के नाम पर वसूली और मरीजों को बंधक बनाने के गंभीर आरोप
बलौदाबाज़ार।
जिले में अनियमितताओं और मनमानी के लिए बदनाम हो चुके ओमकार हॉस्पिटल पर एक बार फिर गंभीर आरोपों की आँधी उठी है। पहले से ही दो बड़े मामलों में जांच लंबित है, इसी बीच गिरौदपुरी निवासी राधेलाल पटेल द्वारा जिला कलेक्टर को सौंपे गए आवेदन ने स्वास्थ्य व्यवस्था में फैले अव्यवस्थित और लालची तंत्र की परतें खोलकर रख दी हैं।
आवेदन की प्रति प्रेस क्लब को भी सौंपी गई है, जिसमें बताया गया है कि 8 दिसंबर की शाम ग्राम बरपाली के पास हुए सड़क हादसे के बाद घायलों को जिस तरह एंबुलेंस ड्राइवर ने जबरन ओमकार हॉस्पिटल ले जाकर अस्पताल प्रबंधन के हवाले किया, वह न सिर्फ आपातकालीन प्रोटोकॉल का उल्लंघन है, बल्कि सीधे-सीधे मरीजों के अधिकारों का हनन भी है।
एंबुलेंस ड्राइवर की संदिग्ध भूमिका—परिवार के मना करने के बावजूद निजी अस्पताल ले गया
शिकायत के अनुसार, तेंदूभाठा से पहुँचा प्राइवेट एंबुलेंस ड्राइवर शुरू से ही जिला अस्पताल ले जाने से बचता रहा और परिजनों की बार-बार की मांग के बावजूद जबरन ओमकार हॉस्पिटल ले आया।
ड्राइवर ने न पुलिस को सूचना दी,
न घायलों की स्थिति पर परिजनों को कोई स्पष्ट जानकारी दी,
और न किसी सरकारी प्रक्रिया का पालन किया।
यह आरोप गंभीर इस कारण हैं कि कई मामलों में प्राइवेट एंबुलेंस और निजी अस्पतालों की सांठगांठ से अवैध वसूली का नेटवर्क पहले भी उजागर होता रहा है।
इलाज नहीं, ठेका प्रणाली—डॉक्टरों ने तरुण के लिए ₹4 लाख और रितेश के लिए ₹1.5 लाख मांगे
ओमकार हॉस्पिटल पहुंचने के बाद स्थिति और ज्यादा भयावह हो गई।
परिजनों के अनुसार:
डॉक्टर राबिया और वसीम रज़ा ने इलाज के नाम पर अवैध रकम की मांग की।
घायल युवक तरुण पटेल के लिए ₹4 लाख और रितेश पटेल के लिए ₹1.5 लाख की ‘फिक्स रकम’ बताई गई।
परिजनों को मरीजों को देखने तक नहीं दिया गया।
अस्पताल प्रबंधन ने कहा—“इलाज ठेके पर होगा, रकम दीजिए तभी मरीज मिलेगा।”
परिवार ने सरकारी अस्पताल ले जाने की मांग की तो अस्पताल ने साफ कह दिया कि बिना पैसे दिए मरीज नहीं छोड़े जाएंगे।
एक युवक की मौत, परिवार को अंधेरे में रखा गया
हादसे में गंभीर रूप से घायल एक युवक की रात 10 बजे मृत्यु हो गई।
अस्पताल ने तुरंत उसे जिला अस्पताल भेज दिया, जहां अगले दिन पोस्टमार्टम कराया गया।
परिजन आरोप लगाते हैं कि मौत की वास्तविक स्थिति, उपचार प्रक्रिया और अस्पताल की जिम्मेदारी—इन सब पर जानबूझकर पर्दा डालने की कोशिश की गई।
‘फर्जी पत्रकार’ और अस्पताल संयोजक ऋषि शुक्ला पर भी धमकाकर वसूली बढ़ाने का आरोप
परिजनों ने बताया कि अस्पताल ने एक स्वयंभू पत्रकार और कथित संयोजक ऋषि शुक्ला को बुलाया, जिसने धमकाते हुए कहा—
> “बिना पैसे दिए मरीज नहीं मिलेगा… यहीं इलाज कराओ, जिला अस्पताल नहीं ले जाया जाएगा।”
इसके बाद दोनो मरीजों के नाम पर:
रितेश के लिए ₹10,000,
तरुण के लिए ₹25,000
वसूलकर केवल कच्ची रसीदें थमा दी गईं।
आज फिर परिजनों से ₹3 लाख की अतिरिक्त मांग की गई और मरीजों को छोड़ने से साफ इंकार कर दिया गया।
दो दिनों से मरीजों को बंधक बनाए जाने का आरोप—न इलाज, न देखभाल
राधेलाल पटेल का कहना है कि अस्पताल:
मरीजों को देखने नहीं दे रहा,
न ही किसी प्रकार की चिकित्सीय रिपोर्ट दे रहा,
उल्टे लगातार आर्थिक और मानसिक दबाव डाल रहा है।
परिवार का आरोप है कि दो दिन से मरीजों को जबरन कैद की तरह रखा गया है, कहीं रेफर नहीं किया जा रहा, और न ही इलाज सुविधाजनक तरीके से किया जा रहा है।
ओमकार हॉस्पिटल पर पहले से लंबित हैं दो गंभीर जांचें
आश्चर्यजनक बात यह है कि ओमकार हॉस्पिटल:
बीते कई महीनों से
कई शिकायतों
और दो बड़े मामलों की गंभीर जांचों
का सामना कर रहा है, लेकिन आज तक कोई कठोर कार्रवाई नहीं हुई।
इसके बावजूद अस्पताल प्रबंधन के रवैये में कोई बदलाव नहीं आया है।
जिला कलेक्टर से तत्काल हस्तक्षेप की मांग
शिकायतकर्ता राधेलाल पटेल ने कलेक्टर से मांग की है:
एंबुलेंस ड्राइवर, डॉक्टर, प्रबंधन और वसूली में शामिल लोगों पर FIR दर्ज की जाए।
. मृत युवक के मामले की निष्पक्ष जांच कर लापरवाही सामने आने पर कठोर दंड दिया जाए।
निजी अस्पतालों पर निगरानी बढ़ाई जाए ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
स्वास्थ्य व्यवस्था पर बड़ा सवाल—अब प्रशासन की जवाबदेही भी कटघरे में
लगातार शिकायतों के बावजूद ओमकार हॉस्पिटल पर प्रभावी कार्रवाई न होना प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि यदि:
निजी अस्पतालों की मनमानी,
अवैध वसूली,
और मरीजों को बंधक बनाने जैसी घटनाओं
पर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो जिले की संपूर्ण स्वास्थ्य सुरक्षा व्यवस्था अविश्वसनीय और भ्रष्ट हो जाएगी।
पीड़ित परिजनों की चेतावनी
परिवार ने चेतावनी दी है कि यदि तत्काल कार्रवाई नहीं की गई, तो यह मामला जिले के स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन दोनों के लिए एक “काला अध्याय” साबित होगा।
























