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कार्तिक पूर्णिमा पर सिधेश्वर नगरी पलारी में उमड़ा आस्था का सैलाब, बालसमुद् तालाब बना श्रद्धा और संस्कृति का संगम स्थल

भक्ति 05 November 2025 (262)

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प्रभात न्यूज़ 24: 

कार्तिक पूर्णिमा पर सिधेश्वर नगरी पलारी में उमड़ा आस्था का सैलाब, बालसमुद् तालाब बना श्रद्धा और संस्कृति का संगम स्थल



पलारी

धार्मिक आस्था, लोक परंपरा और सांस्कृतिक उत्साह का अद्भुत संगम बुधवार को सिधेश्वर नगरी पलारी में देखने को मिला, जब कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर बालसमुद् तालाब में श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। सुबह चार बजे से ही हजारों श्रद्धालु स्नान करने के लिए तालाब तट पर पहुंचने लगे और पूरा क्षेत्र “हर हर महादेव” के जयघोष से गूंज उठा।


लगभग 150 एकड़ क्षेत्रफल में फैला यह विशाल बालसमुद् तालाब प्रदेश के सबसे बड़े तालाबों में शुमार है। तालाब के किनारे स्थित लाल ईंटों से निर्मित प्राचीन सिधेश्वर महादेव मंदिर इस अवसर पर श्रद्धालुओं के आकर्षण का प्रमुख केंद्र बना रहा। ग्रामीणों का कहना है कि यह परंपरा सदियों पुरानी है—“बचपन से इस दिन मेला लगता आ रहा है और हमारे बुजुर्ग भी बताते आए हैं कि कार्तिक पूर्णिमा का यह मेला सैकड़ों सालों से हमारी पहचान रहा है।”


इस वर्ष भी कार्तिक स्नान और मेले के आयोजन को लेकर नगर पंचायत पलारी ने व्यापक तैयारी की थी। बाहर से आए दुकानदारों को कतारबद्ध तरीके से स्थान आवंटित किया गया, पार्किंग की समुचित व्यवस्था की गई, और तालाब परिसर की सफाई, प्रकाश व्यवस्था तथा पेयजल की सुविधा को लेकर विशेष ध्यान दिया गया। भारी भीड़ को देखते हुए अतिरिक्त सफाई कर्मचारी और सुरक्षा जवानों की तैनाती की गई ताकि कोई अप्रिय घटना न हो।


बालसमुद् तालाब में इस बार नौका विहार (बोटिंग) की भी विशेष व्यवस्था की गई थी, जिसने श्रद्धालुओं और पर्यटकों को खूब आकर्षित किया। बच्चे, युवा और महिलाएं सभी नौका विहार का आनंद लेते नजर आए।


मेले में धार्मिक आयोजनों के साथ-साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भी धूम रही। यादव बंधुओं द्वारा प्रस्तुत पारंपरिक राउत नाचा ने वातावरण को भक्ति और लोकसंस्कृति से सराबोर कर दिया। ढोल-नगाड़ों की थाप पर गूंजते लोकगीतों ने कार्तिक पूर्णिमा के पावन माहौल को और भी भव्य बना दिया।


स्नान के उपरांत श्रद्धालुजन सिधेश्वर महादेव मंदिर में दर्शन व पूजा-अर्चना के लिए उमड़ पड़े। भक्तों ने भगवान से परिवार की सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और कल्याण की कामना की। वर्तमान में यह प्राचीन मंदिर पुरातत्व विभाग के अधीन संरक्षित धरोहर है, जहां प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु दर्शन हेतु पहुंचते हैं।


पलारी की यह पावन धरा एक बार फिर धर्म, आस्था और संस्कृति का केंद्र बन गई है। कार्तिक पूर्णिमा के इस अवसर ने न केवल लोगों को आध्यात्मिक अनुभूति कराई, बल्कि समाज को एकजुटता और सांस्कृतिक गौरव का संदेश भी दिया।


> “स्नान, दान और भक्ति के इस महापर्व पर बालसमुद् तालाब आस्था के सागर में परिवर्तित हो गया—जहां श्रद्धा की लहरों के साथ लोक संस्कृति की गूंज भी सुनाई दी।”





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