प्रभात न्यूज़ 24:
बलौदा बाजार में गौ माता की दुर्दशा : शासन-प्रशासन की नींद और जनता का आक्रोश
संवाददाता- विजय शंकर तिवारी
बलौदा बाजार,
जिले में पिछले कुछ समय से गौ माता की स्थिति लगातार बद से बद्तर होती जा रही है। भूख-प्यास से तड़पती, कचरे के ढेरों में भोजन तलाशती और सड़कों पर बेसहारा भटकती गायों की तस्वीरें अब आम हो चुकी हैं। आए दिन सड़क हादसों में गौ माता की मौत, बीमारियों से जूझते हालात और रात भर खुले आसमान के नीचे बिताने की मजबूरी ने समाज को झकझोर कर रख दिया है।
पत्रकारों ने इस गंभीर विषय को लगातार प्रमुखता से उठाया है। विभिन्न समाचार माध्यमों के जरिए जनता और प्रशासन तक इस संकट को पहुंचाया गया, लेकिन अफसोस की बात है कि शासन-प्रशासन मानो कुंभकरण की गहरी नींद में सोया हुआ है। पत्रकारों की मेहनत और लगातार की गई कवरेज के बावजूद प्रशासन की कार्यशैली में कोई ठोस बदलाव दिखाई नहीं दे रहा।
कलेक्टर के आदेश धरे के धरे
बताया जाता है कि जिला कलेक्टर ने भी व्यवस्था सुधारने के निर्देश दिए थे। परंतु ये आदेश केवल फाइलों तक ही सीमित होकर रह गए। जमीनी स्तर पर हालात जस के तस बने हुए हैं। आम जनता का आरोप है कि कलेक्टर स्वयं अपने आदेशों के पालन करवाने में नाकाम साबित हो रहे हैं।
नेताओं की चुप्पी, जनता की बेबसी
राजनीतिक गलियारों की बात करें तो सत्ताधारी पक्ष के नेता इस मुद्दे पर लगातार चुप्पी साधे हुए हैं। किसी भी जनप्रतिनिधि ने सार्वजनिक रूप से इस विषय पर न तो चिंता जताई है और न ही ठोस कदम उठाने की पहल की है। इससे जनता में गहरा आक्रोश व्याप्त है।
आमजन कहने लगे हैं कि – “राम को पूजने वाले सत्ताधारी यह भूल गए हैं कि स्वयं भगवान राम ने गौ माता की सेवा और सम्मान किया था, भगवान कृष्ण ने इनकी रक्षा की थी। यदि गौ माता की रक्षा और सेवा नहीं हुई तो यह केवल प्रशासनिक विफलता ही नहीं, बल्कि संस्कृति और धर्म का भी विनाश होगा।”
दुर्घटनाओं और मौतों की लंबी फेहरिस्त
पिछले कुछ महीनों में कई दर्दनाक घटनाएं सामने आई हैं। सड़कों पर भटकती गाएं आए दिन वाहनों की चपेट में आकर घायल या मृत हो जाती हैं। कई बार तो मृत गौ माता घंटों सड़क पर पड़ी रहती है, जिसकी देखरेख या समय पर निस्तारण की व्यवस्था तक नहीं होती। बीमार और कमजोर गाएं इलाज के अभाव में तड़प-तड़पकर दम तोड़ देती हैं।
जनता की भावनाएं और चेतावनी
गौ माता की इस दुर्दशा से हर वर्ग की जनता दुखी और व्यथित है। ग्रामीण क्षेत्र से लेकर शहर तक लोग प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल खड़े कर रहे हैं। कई सामाजिक संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही व्यवस्थाएं नहीं सुधारी गईं तो सामूहिक आंदोलन की राह अपनाई जाएगी।
निष्कर्ष
गौ माता की बदहाली अब केवल एक प्रशासनिक लापरवाही का मामला नहीं रह गया है, बल्कि यह समाज और संस्कृति की आत्मा पर चोट है। बलौदा बाजार जिले की जनता का कहना है कि शासन और प्रशासन अगर अब भी नहीं जागा, तो यह महापाप भविष्य में गंभीर परिणाम देगा। जनता ने साफ संदेश दिया है – “जल्दी जागो और व्यवस्थाएं दुरुस्त करो।”
























